मुख्य सचिव ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री जी की ओर से लोगों को साफ़ पीने वाला पानी हर हाल में मुहैया करवाने के लिए आपदा फंड में से 10 करोड़ रुपए जारी किये गए हैं। पीने वाले पानी को दूषित होने से बचाया जाये और इस सम्बन्धी अधिकारी दो दिनों में यह सर्टिफिकेट दें कि कहीं भी पानी की पाईप लाईन में नुक्स नहीं है और पीने वाला पानी पूरी तरह साफ़ है। इस मामले में लापरवाही करने वाले को बख्शा नहीं जायेगा। लोगों की सेहत सबसे प्रमुख है। सेहत विभाग को क्लोरीन दवाओं के लिए 50 लाख रुपए जारी किये गए हैं। सेहत विभाग की तरफ से पानी के साथ होने वाली बीमारियों से मुकाबले के लिए पूरी तैयारी करने के लिए कहा। इसी तरह पशुधन को बीमारियों से बचाने के लिए पशु पालन विभाग की तरफ से जिलों को 40 लाख रुपए जारी किये गए हैं।
श्री अनुराग वर्मा ने कहा कि जल स्रोत विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि जहाँ कहीं भी नदियों, नहरों में दरारें हैं, उनको भरने का काम जंगी स्तर पर किया जाये। उन्होंने जल स्रोत, लोक निर्माण, मंडीकरण बोर्ड, जल सप्लाई और सेनिटेशन विभागों के साथ डिप्टी कमिशनरों को बाढ़ के कारण हुए बुनियादी ढांचे के नुकसान का मूल्यांकन करके रिपोर्ट सौंपी जाये। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्धी मुख्यमंत्री जी की तरफ से स्पष्ट हिदायतें जारी की गई हैं कि ढांचे की फिर बहाली के समय यह यकीनी बनाया जाये कि आने वाले समय में अधिक पानी आने की सूरत में कोई नुकसान न हो जिससे बाढ़ से होने वाले नुकसान से बचा जाये।
मीटिंग में मुख्य सचिव ने बाढ़ प्रभावित जिलों के डिप्टी कमिश्नरों से स्थिति का जायज़ा लेते हुये उनको मुहैया करवाई जाने वाली मदद के बारे भी पूछा। कुल मिला कर स्थिति कंट्रोल में बतायी गई। यह भी बताया गया कि राज्य में एन. डी. आर. एफ. की अब सिर्फ़ दो टीमें तैनात हैं। एक मानसा और दूसरी संगरूर। प्रभावित लोगों के लिए राहत कैंपों का और उनके खाने- पीने का प्रबंध किया गया है। फसलों के नुकसान के भी जायज़ा लेने के निर्देश दिए।